गुरु की अहमियत – Motivational Story in Hindi for Students

दोस्तों, आज हम आपके लिए एक छोटी सी Motivational Story in Hindi for Students लेकर आए हैं। जो सभी विद्यार्थियों और हम सभी को यह बताएगी कि जीवन में सफल होने के लिए या फिर कुछ पाने के लिए एक गुरु का होना कितना जरूरी है।

कुछ विद्यार्थी ऐसे होते हैं जो यह सोचते हैं कि मैं अपने आप से सब कुछ कर लूंगा, खुद से पढ़कर ही पास हो जाऊंगा या किसी Exam को निकाल लूंगा। फिर ना वो कोई ट्यूशन लगाते हैं, ना ही किसी टीचर की मदद लेते हैं और लास्ट में फेल हो जाते हैं।

इसी तरह बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो हर चीज अकेले करने की चाह रखते हैं, वो सोचते हैं कि मैं हर चीज अकेले करके पा लूंगा, अकेले ही सफलता पा लूंगा, मुझे किसी की जरूरत नहीं है और ना ही मुझे कोई ऐसा चाहिए जो मुझे कुछ सिखाए, दोस्तों, ऐसे लोग भी अक्सर असफल ही होते हैं।

हम सभी को कभी ना कभी जीवन में एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत पड़ जाती है जो हमारा मार्गदर्शन कर सके, जो हमें आगे बढ़ने में मदद कर सके। किसी को गुरु बनाना या किसी के बताए हुए रास्ते पर चलना, या किसी को follow करके कुछ achieve कर लेना कोई बुरी बात नहीं है।

जो व्यक्ति आपको आगे बढ़ाने में मदद करे, आपको अच्छी चीज़ सीखने और जीवन में सफल होना सिखाएं, ऐसे इंसान को गुरु बनाने में कोई बुराई नहीं है। बहुत से सफल लोग किसी का ना किसी व्यक्ति को follow जरूर करते हैं।

कुछ ऐसे भी होते हैं जो अपनी ही असफलताओं से सीखकर खुद को आगे बड़ा लेते हैं। लेकिन ऐसा हर व्यक्ति नहीं होता। हमे गुरु की जरूरत और उनके महत्व को समझना जरूरी है।

यह कहानी सिर्फ विद्यार्थियों के नहीं है बल्कि हम सभी के लिए है क्योंकि जब हमें ये समझ में नहीं आता की क्या करना है और हम उलझन में फंस जाते हैं तो उस वक्त हमें ऐसे इंसान की जरूरत होती है जो हमें हमारी परेशानी का हल दे सके या हमे कुछ समझा सके। उस वक्त वही इंसान हमारा गुरा या फिर हमारा आदर्श (Idol) बन जाता है।

हमारे जीवन में गुरु की क्या अहमियत होती है, हम आपको इस मोटिवेशनल स्टोरी फॉर स्टूडेंट्स के जरिए समझाएंगे।

Motivational Story in Hindi for Students, विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक कहानी,

गुरु की अहमियत (Motivational story in hindi for students)

एक बार एक लड़का घोड़ों की रेस देखने गया। रेस में दौड़ते हुए घोड़ों को देखकर वह उनसे इतना आकर्षित हो गया कि उसने ठान ली कि वह भी एक घुड़सवार (Horse rider) बनेगा। अब समस्या यह थी कि उस लड़के को ना तो घोंड़ों के बारे में ज्यादा जानकारी थी, ना ही उसने आज से पहले कभी घुड़सवारी करी थी।

अपने जुनून को जल्दी पूरा करने के लिए उस लड़के ने एक तरकीब अपनाई और वह सीधा लाइब्रेरी चला गया। लाइब्रेरी में जाकर उसने किताब निकाली जिसका टाइटल था “How to ride a horse (घोड़ा कैसे चलाएं) और उसे पढ़ना शुरू कर दिया।

1 महीने तक उसने वह किताब अच्छे से पड़ी। उसने वह हर चीज जान ली जो एक सफल घुड़सवार को आनी चाहिए जैसे कि अच्छा घोड़ा कैसा होता है, घोड़े की लगाम को कैसे खींचा जाता है, घोड़े की रफ्तार को कैसे बढ़ाया जाता है, घोड़े को रोका कैसे जाता है, ये सब जानकारी उसने किताब से पड़ी और अपने दिमाग में बिठा ली।

जब उसे लगा की उसने सब कुछ सीख लिया है तो वह पास ही के एक अस्तबल (stable) में गया। वहां बहुत सारे घोड़े थे। उसने अपनी मनपसंद का घोड़ा छांटा और वहां के मालिक से कहा मैं एक घुड़सवार हूं। मैंने अभी-अभी घुड़सवारी करना सीखा है और अपनी स्किल्स को बेहतर करने के लिए मुझे आप मेरी पसंद का घोड़ा दे दीजिए।

उस लड़के की बातों को सुनकर अस्तबल के मालिक ने उसे उसकी पसंद का घोड़ा दे दिया।

घोड़ा, लड़के के पास आया तो वह उस पर चढ़ने की कोशिश करने लगा लेकिन जैसे ही वो घोड़े के ऊपर चढ़ा तो घोडा जोर से उछला और उसने लड़के को जमीन पर गिरा दिया। फिर बहुत बार कोशिश करने के बाद भी वो लड़का घोड़े को काबू नहीं कर पाया।

ये सब देखकर वहां का मालिक बोला, “तुम तो खुद को घुड़सवार बताते हो लेकिन तुम्हें घोड़े पर चढ़ना भी नहीं आ रहा है। तुमने घुड़सवारी कहां से सीखी और तुम्हें सीखाने वाला गुरु कौन था।”

अपनी बेवकूफी छिपाते हुए वो लड़का बोला, “मेरा कोई गुरु नहीं था और यह सब मैंने लाइब्रेरी में रखी एक किताब से पढ़कर सीखा।”

वह व्यक्ति उसकी बात को सुनकर जोर से हस पड़ा और अपने घोड़े को लेकर वहां से चला गया।

सीख जो हमें इस विद्यार्थियों के लिए प्रेरणादायक कहानी से मिलती है:

यह कहानी हमें सिखाती है कि किताबी ज्ञान तब तक काम नहीं आता जब तक आप उसका अभ्यास नहीं कर लेते। किसी चीज का ज्ञान होना और किसी चीज को करना, दोनों बातों में बहुत फर्क होता है। सिर्फ पता होने से हम किसी काम में बेहतर नहीं हो जाते।

किताब सिर्फ पढ़ कर समझ में नहीं आती इसीलिए हर subject का एक टीचर होता है जो हमें उस किताब के अंदर के ज्ञान को समझाता है और जब हमें वह चीज समझ में आती हैं तब हम उसे अच्छी तरह सीख पाते हैं।

इसी तरह जीवन में क्या सही है, क्या गलत है, क्या करना है, क्या नहीं करना है ये जब तक कोई हमें सीखाता नहीं तब तक हम सही राह नहीं चुन पाते, यही सब एक गुरु या मेंटर सीखाता है। बिना गुरु के ज्ञान मिलना बहुत मुश्किल होता है सिर्फ चीजें पता होने से कामयाबी नहीं मिलती।

किताबें पढ़कर होशियार बनना आसान है लेकिन उन चीज़ों को खुद ही बेहतर तरीके से समझ पाना मुश्किल है। इसलिए किसी भी नए काम को करने से पहले या कुछ नया सीखने से पहले उन लोगों की राय जरूर लें जो उस काम को करते आ रहे हैं क्यूंकि उस field में वही आपके गुरु हैं।

जरुरी नहीं है की आप भी पहले गलती करें और तभी सीखें। दूसरों की गलतियों से सीखो और उन गलतियों को repeat मत करो। जीवन में यदि कुछ पाना है, सफल होना है तो सफल लोगों को अपना गुरु बनाओ। यह मत सोचो कि मैं हर चीज अकेले कर लूंगा।

किसी को अपना आइडल बनाना कोई गलत बात नहीं है। अगर आप किसी सफल व्यक्ति को फॉलो करते हैं और जीवन में सफलता पा लेते हैं तो इसमें कोई शर्माने या बुरा लगने वाली बात नहीं है। दोस्तों, जीवन में सफलता पाना ही सब कुछ है, हर कोई किसी ना किसी को देखकर कुछ ना कुछ करता है इसलिए सफल लोगों को फॉलो करें। अच्छे लोगों को फॉलो करें और उनकी तरह बनने की कोशिश करें।

दूसरी बात जो यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में प्रैक्टिकल नॉलेज होना बहुत जरूरी है। जब तक आप प्रेक्टिकल नहीं करेंगे तब तक आप चीजों को बेहतर तरीके से समझ नहीं पाएंगे। किसी काम को करने के लिए सिर्फ प्लान होना जरूरी नहीं है बल्कि उस प्लान को एग्जीक्यूट करना भी बहुत जरूरी है।

किताबी ज्ञान हमेशा किताब तक ही सीमित रहता है जबकि रियल्टी में चीजें अलग होती हैं इसलिए यदि आपको किसी चीज की जानकारी है तो यह ना समझे कि आप उसमे परफेक्ट हो गए हैं। जब हम काम को practically करते हैं तो उसमें बहुत सारी कमियां निकलती हैं, बहुत सारी गलतियां निकाल कर आती हैं। उन गलतियों को सुधार कर हम बेहतर होते जाते हैं।

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