हर व्यक्ति को एक जिंदगी मिलती है और इसे कैसा बनाना है यह उसी पर निर्भर करता है। एक छोटा बच्चा जब जिंदगी की शुरुआत करता है तो उसे नहीं पता होता है कि आगे चलकर उसका जीवन कैसा होगा क्योंकि उसके सोचने और समझने की शक्ति इतनी नहीं होती,
लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वह बच्चा बड़ा होने लगता है और उसके साथ ही उसकी बुद्धि का विकास होने लगता है। बुद्धि का विकास होने के साथ सही-गलत और अच्छे बुरे की पहचान होने लगती है और यही यही चीज हमारे जीवन को बनाती हैं। हमारी जिंदगी कैसी होगी निर्भर करता है हमारे फैंसलों पर, हमारी सोच और हमारे कर्मों पर।
आज की छोटी सी मोटिवेशनल कहानी यह बात सिखाएगी कि हम सभी को अपना जीवन कैसा बनाना है, कैसे निर्णय लेने हैं और कर्म कैसे करने हैं। इस Motivational Kahani in Hindi को एक बार जरूर पढ़ें।
राजा और उसके तीन मंत्री – Short Motivational Kahani
यह कहानी एक राजा की है, जिसके तीन मंत्री थे। तीनों मंत्रियों की राजा के महल में अपनी एक अलग पहचान थी। एक दिन राजा ने सोचा कि क्यों ना तीनों मंत्रियों की परीक्षा ली जाए और देखा जाए कि इनमें सबसे बेहतर कौन है।

राजा ने अपने तीनों मंत्रियों को बुलाया और उनसे कहा, “मैं आप सभी को दो काम दूंगा और जो भी उन कामों को पहले पूरा कर लेगा, उसे कीमती इनाम दिया जाएगा और साथ ही उसे इस राज्य का सर्वश्रेष्ठ मंत्री बनाया जाएगा।”
राजा की बात सुनते ही तीनों मंत्री उन दो कामों को करने के लिए मान गए। राजा ने अपने वजीर को बुलाया और कहा कि तीनों मंत्रियों को एक-एक थैला दे दिया जाए।
राजा ने पहला काम बताते हुए मंत्रियों से कहा, “आपको बस इतना करना है कि हमारे बगीचे में जाकर इन थैलों में फल भर के लाने हैं। जो भी थैले को ज्यादा भर कर लाएगा उसका पहला काम पूरा माना जाएगा और फिर उसके बाद मैं आपको आपका दूसरा काम बताऊंगा।”
राजा की बात सुनकर, तीनों मंत्री बगीचे में चले गए और वहां जाकर फल इकट्ठा करने लगे।
फल इकट्ठा करने के दौरान पहले मंत्री ने सोचा कि, “हमारे तोड़े हुए फल राजा तो खाएगा नहीं, तो उसने थैले को जल्दी भरने के लिए, नीचे सड़े गले फल भर दिए और ऊपर से थोड़ा बहुत अच्छे फल डाल दिए।
दूसरे मंत्री ने सोचा की, “हो सकता है कि राजा यह फल किसी को भेंट करें इसलिए उसने अच्छे अच्छे फल तोड़े। लेकिन उसे अच्छे फल कम मिले और उसका थैला पूरा भर नहीं पाया।”
तीसरे मंत्री ने सोचा कि, “राजा के पास इतना समय तो है नहीं कि वह हमारे थैले खोल खोल कर फलों की जांच करें तो उसने जल्दी-जल्दी ढेर सारी घास-फूस अपने थैले के नीचे भर दी और ऊपर से 2, 4 फल डालकर थैले को पूरा भर दिया।”
अगले दिन तीनों मंत्री अपने-अपने थैले लेकर राजा के दरबार में पहुंच गए। राजा ने तीनों के थैले बाहर से ही देखे, अंदर क्या है उसने पूछा भी नही।
अपना दूसरा काम देते हुए राजा बोला, “अब आप सभी को 10 दिन जेल में बिताने हैं जहां आपके लिए सिर्फ पीने योग्य पानी है और खाने के लिए इन थैलों में फल हैं जिन्हें खा कर ही आपने यह 10 दिन निकालने हैं। जो भी मंत्री सही सलामत बाहर आएगा वह इस परीक्षा को जीत जाएगा।”
तीनों को अलग-अलग जेलों में बंद कर दिया गया। पहला मंत्री जिसने नीचे से सड़े और ऊपर से अच्छे फल रखे थे, उसने एक-दो दिन तो अच्छे फल खाकर निकाल दिए लेकिन फिर मजबूरी में उसे सड़े फल खाने पड़े और वह बीमार हो गया।
दूसरा मंत्री जिसने अपने थैले को अच्छे फलों से कम भरा हुआ था, वह थोड़ा थोड़ा करके अच्छे फल खाता गया और उसने अपने 10 दिन आराम से निकाल लिए।
तीसरा मंत्री जिसके पास सिर्फ कुछ ही अच्छे फल थे और बाकी सिर्फ-घास फूस थी, वह जैसे तैसे पानी के सहारे जिंदा रहा लेकिन अंत में मर गया।
10 दिन बाद जब राजा ने अपनी मंत्रियों का जायजा लिया तो पाया कि दूसरा मंत्री सही सलामत बचा है। एक की मृत्यु हो गई और एक बहुत बीमार पड़ गया। परीक्षा के अनुसार जीतने वाले मंत्री को सर्वश्रेष्ठ का दर्जा और साथ ही इनाम भी दिया गया।
इस मोटिवेशनल कहानी से मिलने वाली सीख:
इस कहानी में जो थैला है वह हमारा जीवन को दर्शाता है और जेल हमारे अंतिम दिनों यानी कि हमारे बुढ़ापे को। हम जो भी कर्म करते हैं, अच्छे या बुरे जो भी निर्णय लेते हैं, वह जीवन के इस थैले के अंदर समां जाते हैं।
हमारे कर्म चाहे अच्छे हों या बुरे, वह इस थैले में भरते जाते हैं। इन कर्मों का परिणाम हमें मिलता है हमारे अंतिम दिनों में। जो इंसान अपने जीवन में जैसे कर्म करता है, अपने जीवन के थैले में जैसे कर्म डालता है उसे बुढ़ापे में वैसा ही फल मिलता है।
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हमारी जवानी के दिन उस बगीचे के समान है जिसमें कर्मों के फल लगे हुए हैं, अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम इस बगीचे से कैसे फल तोड़ते हैं और अपने जीवन के थैले में कैसे फल यानी कि कर्म भरते हैं।
आज के समय में अधिकांश लोग ऐसे हैं जो जीवन के थैले को सिर्फ पैसों से भरने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके चक्कर में वह ना ही अपने परिवार पर ध्यान दे पाते हैं ना ही अपने रिश्तों पर और ना ही अपने शरीर पर। जब उनका अंतिम समय आएगा तब उनके पास पैसा तो होगा लेकिन अपना कहने वाला कोई नहीं होगा।
कुछ ऐसे हैं जो खाली रहते हैं, माता पिता के पैसे पर जीवन जीते हैं, उनके जीवन का कोई उद्देश्य ही नही है। ऐसे लोगों का अंतिम समय भी दूसरों के भरोसे ही कटेगा। इसलिए जरूरी है की इस जीवन के थैले में आप वो चीजें भरें जो जिंदगी में ज्यादा जरूरी है।
थोड़ा पैसे, थोड़ा रिश्ते, थोड़ा नाम, थोड़ा दोस्त और कुछ अपने क्योंकि यही वो चीजे हैं जो आपके अंतिम समय को बेहतर बनाएंगी। यहीं वो चीजों है जिनसे जीवन का महत्व है वरना इस दुनिया में कितने आए, और निकल गए।
उम्मीद है की ये Motivational Kahani आपको पसंद आए। ऐसी ही और भी कहानियां पढ़ने के लिए इस blog से जुड़े रहें।
